Biography of viyogi harian
[MEMRES-5]...
वियोगी हरि
| वियोगी हरि | |
|---|---|
| जन्म | 01 अगस्त 1895 छतरपुर, मध्य प्रदेश, भारत |
| मौत | 6 मई 1988(1988-05-06) (उम्र 92 वर्ष) |
| पेशा | प्रमुख कवि, हिंदी गद्यकार |
| राजनैतिक पार्टी | अध्यक्ष, हरिजन सेवक संघ |
| पुरस्कार | मंगलाप्रसाद पारितोषक 1928 |
वियोगी हरि (1895-1988 ई.) प्रसिद्ध गांधीवादी एवं हिन्दी के साहित्यकार थे। ये आधुनिक ब्रजभाषा के प्रमुख कवि, हिंदी के सफल गद्यकार तथा समाज-सेवी सन्त थे। "वीर-सतसई" पर इन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला था। उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन, प्राचीन कविताओं का संग्रह तथा संतों की वाणियों का संकलन किया। कविता, नाटक, गद्यगीत, निबंध तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखी हैं। वे लगभग 40 वर्षों तक हिन्दी साहित्य की सक्रिय सेवा करते रहे। वे हरिजन सेवक संघ, गाँधी स्मारक निधि तथा भूदान आंदोलन में सक्रिय रहे।
जीवनवृत्त
[संपादित करें]वियोगी हरि का जन्म छतरपुर (मध्य प्रदेश) में सन १८९६ ई० में एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनका पालन-पोषण एवं शिक्षा ननिहाल में घर पर ही हुई।
शिक्षा आदि के